हरेन पांड्या केस-शीर्ष कोर्ट का फैसला गुजरात की राजनीति को करेगा प्रभावित

 देश की सर्वोच्च अदालत ने गुजरात के बहुचर्चित पूर्व गृहमंत्री हरेन पांड्या की 2003 में हुई हत्या के मामले में अहम निर्णय करते हुए 12 लोगों को दोषी करार दिया है। भाजपा ने इस फैसले का स्वागत किया। सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के 29 अगस्त 2011 के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें उसने आरोपियों को हत्या के आरोप से दोषमुक्त कर दिया था। सत्ताधारी भाजपा ने कहा कि यह फैसला प्रदेश सरकार के अथक प्रयासों का नतीजा हैभाजपा प्रवक्ता भरत पांड्या ने बताया, हम आदेश का स्वागत करते हैं। यह राज्य सरकार के अथक प्रयासों का नतीजा है कि आरोपियों को दोषी ठहराया गयाकांग्रेस की तरफ से इस पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। पांड्या गुजरात की तत्कालीन नरेंद्र मोदी सरकार में गृह मंत्री थे। अहमदाबाद के लॉ गार्डन के निकट सुबह की सैर के दौरान 26 मार्च 2003 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। उनकी पत्नी, जागृति पांड्या ने कहा, पहले में पूरा फैसला पढूगी और तब एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी प्रतिक्रिया देंगी। वह गुजरात राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष हैं। सीबीआई केमुताबिक पांड्या की हत्या 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिये की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने नौ लोगों को गुजरात के पूर्व गृह मंत्री हरेन पांड्या की हत्या का दोषी करार दिया हैशीर्ष न्यायालय ने इस मामले में विभिन्न अपराधों के तहत 12 लोगों को दोषी ठहराए जाने के निचली अदालत के आदेश को बहाल करते हुए शुक्रवार को कहा कि हत्या के आरोप से नौ लोगों को गुजरात हाईकोर्ट द्वारा बरी किया जाना पूरी तरह से अवांछित और गलत रुख पर आधारित थानिचली अदालत ने 12 आरोपियों को पांच साल से लेकर उम्र कैद तक की विभिन्न अवधि की सजा सुनाई थी। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने फोरेंसिक, मेडिकल और अहम गवाहों की गवाही की सराहना करते हुए कहा कि निचली अदालत ने नौ लोगों को पांड्या की हत्या के लिए बिल्कुल सही दोषी ठहराया था। हालांकि, शीर्ष न्यायालय ने एनजीओ 'सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' की वह याचिका खारिज कर दी, जिसके तहत इस संस्था ने पांड्या की हत्या की अदालत की निगरानी में नये सिरे से जांच कराने की मांग की थी।